Monday, March 31, 2014

Kaun Banega Pradhanmantri Nukkar Behas from Amreli, Gujarat



गुजरात के सौराष्ट्र इलाके का हिस्सा है अमरेली। अमरेली जिला भी है और लोकसभा सीट भी। अमरेली लोकसभा सीट में विधानसभा की सात सीटें हैं – धारी, अमरेली, लाठी, सावरकुंडला, राजुला, महुवा और गारियाधार। इनमें से पहली पांच सीटें जहां अमरेली जिले का हिस्सा हैं, वही आखिरी दो भावनगर जिले की। 2012 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने इस लोकसभा सीट की चार विधानसभा सीटों- सावरकुंडला, राजुला, महुवा और गारियाधार पर कब्जा किया, जबकि कांग्रेस के खाते में अमरेली और लाठी की विधानसभा सीट गई। धारी विधानसभा सीट गुजरात परिवर्तन पार्टी के लिए नलिन कोटडिया ने जीती। हालांकि लाठी के कांग्रेसी विधायक बावकुभाई उंधाड ने इसी जनवरी महीने में विधानसभा से इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली है, तो गुजरात परिवर्तन पार्टी का विलय बीजेपी में हो गया है।

जहां तक लोकसभा चुनावों का सवाल है, बीजेपी की तरफ से दिलीप संघाणी ने 1991, 1996, 1998 और 1999 में अमरेली की सीट जीती। वही 2004 में कांग्रेस की तरफ से वीरजी ठुम्मर ने ये सीट जीती। लेकिन 2009 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी वापस अमरेली लोकसभा सीट पर कब्जा करने में कामयाब रही। यहां के मौजूदा सांसद नारणभाई काछड़िया ही 2014 लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी के उम्मीदवार है। वही कांग्रेस ने वीरजी ठुम्मर को अपना उम्मीदवार बनाया है। आम आदमी पार्टी की तरफ से नाथालाल सुखड़िया चुनाव लड़ रहे हैं, जो आरटीआई एक्टिविस्ट हैं।

लोकशन – किसान फार्म, अमरेली

नुक्कड़ बहस में शामिल होने वाले नेताओं के नाम
नारणभाई काछड़िया, सांसद व बीजेपी उम्मीदवार, अमरेली
वीरजी ठुम्मर, कांग्रेस उम्मीदवार, अमरेली
नाथालाल सुखड़िया, आम आदमी पार्टी उम्मीदवार, अमरेली

Saturday, March 29, 2014

ABP News-Nielsen Opinion poll for Central and Western India

ABP News-Nielsen Opinion Poll: Out of 26 seats BJP to capture 21 in Gujarat

ABP News nationwide poll: Results from Gujarat

ABP News reporters to give you the fastest updates on Gujarat polls

Kaun Banega Pradhanmantri's Nukkad Behas from Bhavnagar



भावनगर एक समय की बड़ी रियासत रही है और इस इलाके को गोहिलवाड़ के तौर पर भी जाना जाता था। आजादी के बाद भावनगर पहले सौराष्ट्र राज्य का हिस्सा बना और उसके बाद बंबई प्रांत और फिर गुजरात का। भावनगर न सिर्फ गुजरात का एक बड़ा जिला है, बल्कि इसका बड़ा हिस्सा समुद्र तटीय भी है। भावनगर का अलंग शिप ब्रेकिंग के धंधे के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। इसी जिले में पालीताणा है, जो जैन धर्मावलंबियों के लिए काफी महत्वपूर्ण शहर है।

भावनगर लोकसभा सीट बीजेपी की मजूबत सीटों मे से एक है। इस सीट पर 1991 से ही बीजेपी का कब्जा है। 1991 में बीजेपी के लिए ये सीट महावीर सिंह गोहिल ने कांग्रेस से छीनी। उसके बाद 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 का चुनाव बीजेपी की तरफ से राजेंद्रसिंह राणा ने जीता, जो लंबे समय तक गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष  भी रहे। हालांकि इस बार बीजेपी ने इस सीट से राणा की जगह भारतीबेन श्याल को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो भावनगर जिले की ही तलाजा विधानसभा सीट से विधायक हैं। वही कांग्रेस ने भावनगर लोकसभा सीट पर प्रवीण राठौड़ को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो इसी जिले की पालीताणा विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक हैं। राठौड़ का चयन कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की प्राइमरी योजना के तहत किया गया।

भावनगर लोकसभा सीट के अंदर विधानसभा की सात सीटें आती हैं- तलाजा, पालीताणा, भावनगर ग्रामीण, भावनगर पूर्व, भावनगर पश्चिम, गढड़ा और बोटाद। 2012 के विधानसभा चुनावों में इनमें से छह सीटों पर जहां बीजेपी ने कब्जा किया, वही सिर्फ एक सीट पालिताणा कांग्रेस के हाथ आई।

नुक्कड़ बहस में शामिल होने वाले नेताओं के नाम-

विभावरीबेन दवे, बीजेपी विधायक, भावनगर पूर्व

डी बी राणिंगा, शहर कांग्रेस अध्यक्ष, भावनगर

राजन त्रिवेदी, आम आदमी पार्टी नेता

लोकेशन- सरदार बाग़, भावनगर

Friday, March 28, 2014

Nukkad Behes of Kaun Banega Pradhanmantri from Anand, Gujarat



आणंद की शोहरत पूरी दुनिया में अमूल के मुख्यालय के तौर पर है। दरअसल इसी शहर से त्रिभुवनदास पटेल और वर्गीज कुरियन की जोड़ी ने उस श्वेत क्रांति को जन्म दिया, जो स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। आणंद शहर के नजदीक ही करमसद है, जो सरदार पटेल और उनके भाई विठ्ठलभाई पटेल के पुश्तैनी गांव के तौर पर मशहूर है। शिक्षा के क्षेत्र में भी आणंद का बड़ा नाम है। न सिर्फ यहां इंस्टीट्यूट ऑफ रुरल मैनेजमेंट, आणंद यानी इरमा जैसा मशहूर प्रबंधन संस्थान है, बल्कि वल्लभ विद्यानगर के तौर पर दर्जनों कॉलेजों को समेटे हुए विशाल शैक्षणिक संकुल भी है। 

आणंद का इलाका मध्य गुजरात में है। आणंद न सिर्फ एक जिला है, बल्कि लोकसभा क्षेत्र भी है। आणंद लोकसभा सीट कांग्रेस की मजबूत सीटों में से एक रही है। 1977 से लेकर 2009 तक दो बार को छोड़कर इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। बीजेपी ये सीट सिर्फ 1989 और 1999 में जीत पाई। इस सीट से मौजूदा सांसद भरतसिंह सोलंकी हैं, जो केंद्र की यूपीए सरकार में पेयजल राज्य मंत्री हैं। सोलंकी ने वर्ष 2004 में भी ये सीट कांग्रेस के लिए जीती थी। 

एक बार फिर से भरत सोलंकी ही आणंद से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, जबकि बीजेपी ने दिलीप पटेल को मैदान में उतारा है। दिलीप पटेल फिलहाल आणंद से ही बीजेपी विधायक हैं।
आणंद लोकसभा सीट के अंदर विधानसभा की सात सीटें हैं – खंभात, बोरसद, अंकलाव, उमरेठ, आणंद, पेटलाद और सोजीत्रा। 2012 के विधानसभा चुनावों में जहां बोरसद, अंकलाव, पेटलाद और सोजित्रा पर कांग्रेस ने कब्जा किया, वही उमरेठ की सीट इसकी सहयोगी पार्टी एनसीपी ने जीती। बीजेपी सिर्फ दो सीटें-आणंद और खंभात जीत पाई।

आणंद की नुक्कड़ बहस में शामिल नेताओं के नाम

बीजेपी
1.      राजेश पटेल, आणंद लोकसभा क्षेत्र प्रभारी, बीजेपी
2.      ध्वनि शर्मा, राष्ट्रीय सचिव, बीजेपी युवा मोर्चा
3.      बिपिन पटेल, वरिष्ठ नेता, बीजेपी

कांग्रेस
अल्पेश पुरोहित, कांग्रेस नेता

आम आदमी पार्टी
कुणाल मेहता

Kaun Banega Pradhanmantri Nukkad Behas from Kheda, Gujarat



खेड़ा लोकसभा सीट प्रोफाइल
मध्य गुजरात की खेड़ा लोकसभा सीट कांग्रेस की मजबूत सीटों में से एक रही है। इस सीट से पिछले पांच लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल की है। 1996 से ही लोकसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे दिनशा पटेल केंद्र की सरकार में खनन मंत्री हैं।
2014 लोकसभा चुनावों के लिए भी दिनशा पटेल ही कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। हालांकि खास बात ये है कि दिनशा अपना पिछले लोकसभा चुनाव 2009 में महज 846 वोटों के मामूली से मार्जिन से जीते थे। ऐसे में बीजेपी ये सीट कांग्रेस से छीनने के लिए अपना पूरा जोर लगा रही है।  बीजेपी ने इस दफ़ा भी उसी देवू सिंह चौहान को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो पिछली दफ़ा मामूली अंतर से चुनाव हार गये थे।
खेड़ा लोकसभा सीट के अंदर विधानसभा की सात सीटें हैं- दसक्रोई, धोल्का, मातर, नडियाद, महेमदाबाद, महुधा और कपडवंज। इनमें से दसक्रोई और धोल्का की सीटें अहमदाबाद जिले का हिस्सा हैं, तो बाकी पांच सीटें खेडा जिले का। 2012 विधानसभा चुनावों के दौरान इन सात सीटों में चार-दसक्रोई, धोल्का, मातर और नडियाद पर जहां बीजेपी ने कब्जा किया, वही बाकी की सीटें कांग्रेस के खाते में गईं।
खेड़ा जिला भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। खेड़ा सत्याग्रह अहिंसक आंदोलनों की कड़ी में प्रमुखता से स्थान पाता है। इसी खेड़ा जिले के मुख्यालय नडियाद में लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी यही हुई थी।
लोकेशन – नडियाद, खेड़ा
नुक्कड़ बहस में शामिल होने वाले नेताओं के नाम
बीजेपी
1.       देवूसिंह चौहाण, बीजेपी उम्मीदवार व विधायक, मातर
2.       सुरेश भट्ट, जिला बीजेपी अध्यक्ष, खेडा
3.       अस्मा खान पठान, जिला अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्षा, खेडा
कांग्रेस
1.       जीतेंद्र पटेल, नडियाद शहर प्रमुख, कांग्रेस
2.       नरेशभाई बारोट, पूर्व अध्यक्ष, नडियाद नगर पालिका व कांग्रेस नेता
3.       संजय पटेल, कांग्रेस नेता

Friday, March 21, 2014

KBPM's Nukkad Bahas from Rajkot, Gujarat, March 10, 2014



Rajkot is heart of Saurashtra region, politically most important in Gujarat. Rajkot was capital of erstwhile Saurashtra state also. This LS seat was won by Keshubhai Patel in 1977. Currently this seat is held by Congress MP Kunwarji Bavalia.

For 2014 LS Elections, Bavalia is Congress candidate, while Mohan Kundaria is BJP Candidate. Kundaria is BJP MLA from Tankara, Rajkot.

In 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 this seat was won by BJP.

Rajkot LS seat comprises 7 Assembly seats- Tankara, Wankaner, Rajkot East, Rajkot West, Rajkot South, Rajkot Rural and Jasdan.

Tankara is birthplace of great social reformer Swami Dayanand Sarswati, while Mahatma Gandhi got his school studies in Rajkot.

In 2012 Assembly elections, out of 7, four seats was won by BJP while Congress won 3 seats.


Guests in the Nukkad Bahas

1. Govind Patel- BJP MLA from Rajkot South seat and Minister of State for Agriculture and Civil Supplies in Gujarat government

2. Indranil Rajyaguru - Congress MLA from Rajkot East

3. Raju Jhunjha- AAP leader, Rajkot

KBPM Nukkad Behas from Chhota Udepur, Gujarat, March 21, 2014



छोटा उदेपुर लोकसभा सीट मध्य गुजरात में है। ये अनुसूचित जन जातियों के लिए रिजर्व सीट है। इस सीट से फिलहाल बीजेपी के राम सिंह राठवा सांसद हैं। छोटा उदेपुर सीट 1977 से ही अस्तित्व में है। 1977, 1980 और 1984 में यहां कांग्रेस ने जीत हासिल की। इस सीट से पांच बार नारणभाई राठवा ने जीत हासिल की। 1989 में जनता दल उम्मीदवार के तौर पर तो 1991 में चिमनभाई पटेल की पार्टी जनता दल गुजरात के उम्मीदवार के तौर पर। इसके बाद नारणभाई कांग्रेस में शामिल हो गये और 1996 और 1998 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता। 1999 में वो बीजेपी के राम सिंह राठवा से हार गये, लेकिन 2004 में फिर से नारणभाई ने कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की और यूपीए-1 की सरकार में रेल राज्यमंत्री  बने। 2009 में नारणभाई राठवा एक बार फिर बीजेपी  के रामसिंह राठवा से हार गये। 2014 लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने नारणभाई राठवा को अपना प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी की तरफ से रामसिंह राठवा ही मैदान में हैं।
छोटा उदेपुर पहले वडोदरा जिले का हिस्सा था, लेकिन पिछले साल यानी 15 अगस्त 2013 से ये खुद एक नये जिले के तौर पर अस्तित्व में आ चुका है। आजादी के पहले छोटा उदेपुर एक रियासत हुआ करती थी।
छोटा उदेपुर लोकसभा सीट के अंदर विधानसभा की सात सीटें हैं- हालोल, छोटा उदेपुर, जेतपुर, संखेडा, डभोई, पाद्रा और नांदोड। 2012 के विधानसभा चुनावों में इनमें से पांच सीटें बीजेपी ने जीती, तो दो सीट कांग्रेस ने।

नुक्कड़ बहस में शामिल नेताओं के नाम

कांग्रेस
1.       नारणभाई राठवा, पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस प्रत्याशी, छोटा उदेपुर लोकसभा सीट
2.       मोहन सिंह राठवा, कांग्रेस विधायक, छोटा उदेपुर

बीजेपी
1.       राम सिंह राठवा, बीजेपी प्रत्याशी व मौजूदा सांसद, छोटा उदेपुर
2.       गुल सिंह राठवा, बीजेपी नेता, छोटा उदेपुर


KBPM Nukkad Behas from Vadodara, Gujarat, March 20, 2014



मध्य गुजरात का कंद्र बिंदु है वडोदरा। १९९१ में पहली बार बीजेपी के लिए ये सीट दीपिका चिखलिया नेजीती थी। १९९६ में महज़ १७ वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार सत्यजीत सिंह गायकवाड ने ये सीट बीजेपी से छिन ली। लेकिन उसके बाद से लगातार ये सीट बीजेपी के क़ब्ज़े में है। यहाँ पर पिछले चुनाव यानी २००९ में बीजेपी के बालकृष्ण शुक्ल ने एक लाख ३६ हज़ार वोटों से भी अधिक के मार्जिन से कांग्रेस प्रत्याशी को हराया।

वडोदरा लोकसभा सीट के अंदर विधानसभा की सात सीटें हैं- साँवली, वाघोडिया, वड़ोदरा सिटी, सयाजीगंज, अकोटा, रावपुरा, मांजलपुर। २०१२ के विधानसभा चुनावों में इनमें से छह सीटों पर बीजेपी ने क़ब्ज़ा किया जबकि साँवली की सीट बीजेपी से ही बाग़ी होकर चुनाव लड़े केतन इनामदार ने जीती। केतन भी अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।

वड़ोदरा की पहचान महाराजा सयाजीराव गायकवाड के शहर के तौर पर रही है। रियासतों के दौर में वो भारत के सबसे प्रगतिशील और प्रजा हितकारी, राष्ट्रवादी शासक के तौर पर मशहूर रहे।

अब वड़ोदरा पर निगाह नरेंद्र मोदी के यहाँ से बीजेपी उम्मीदवार बनने के कारण होगी। हालाँकि कांग्रेस की तरफ़ से यहाँ मोदी को चुनौती नरेंद्र रावत से मिलेगी, जो प्राइमरी के ज़रिये उम्मीदवार बने हैं। ऐसे में वडोदरा का ये मुक़ाबला नरेंद्र बनाम नरेंद्र का हो जाएगा।

वड़ोदरा की नुक्कड़ बहस में शामिल हुए नेताओं के नाम

बीजेपी
बालकृष्ण शुक्ल, बीजेपी सांसद, वडोदरा
भरत डाँगर, वड़ोदरा शहर बीजेपी अध्यक्ष
शब्दशरण ब्रह्मभट्ट, वरिष्ठ बीजेपी नेता


कांग्रेस
नरेंद्र रावत, कांग्रेस उम्मीदवार, वडोदरा
चंद्रकांत श्रीवास्तव, कांग्रेस नेता, वड़ोदरा नगर निगम

आम आदमी पार्टी
सोनाली सेन

पत्रकारों पर गुस्सा मत कीजियेगा केजरीवाल जी | प्रभात खबर, मार्च 21, 2014

पत्रकारों पर गुस्सा मत कीजियेगा केजरीवाल जी | PrabhatKhabar.com : Hindi News Portal to Eastern India

Thursday, March 20, 2014

KBPM Nukkad Bahas from Jamnagar, Gujarat, March 13, 2014



एक समय की सौराष्ट्र की बड़ी रियासतों में से एक नवानगर का मुख्यालय जामनगर। विश्व क्रिकेट के सार्वकालिक मशहूर नामों से एक रणजीत सिंह इसी नवानगर रियासत के महाराजा थे। जामनगर शहर की कई इमारतें और जाम रणजीत सिंह की निशानियों से भरा पड़ा है, जिसमें से एक है जामनगर का सुमेर क्लब भी। घरेलू क्रिकेट के दो मशहूर मुकाबले रणजी ट्रॉफी और दलीप ट्रॉफी जाम रणजीत सिंह और उनके भतीजे दिलीप सिंह के नाम पर ही हैं।
जामनगर जिले के अंदर ही रिलायंस और एस्सार समूह की मशहूर रिफाइनरियां भी हैं। भारतीय सेना के लिहाज से भी जामनगर महत्वपूर्ण शहर है, जहां सेना के तीनों अंग मौजूद हैं। जामनगर जिले में ही देश का एक मात्र मरीन नेशनल पार्क भी है।
जामनगर लोकसभा सीट पर फिलहाल कांग्रेस का कब्जा है। यहां से कांग्रेसी सांसद विक्रम माडम ने 2004 और 2009 में लोकसभा चुनाव जीता। 2014 लोकसभा चुनावों में भी विक्रम माडम ही कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। हालांकि इस सीट पर 1989 से लेकर 1999 तक लगातार बीजेपी का कब्जा रहा और चंद्रेश पटेल यहां के सांसद रहे। बीजेपी ने इस दफा विक्रम माडम की भतीजी पूनम माडम को अपने उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार दिया है। पूनम जिले की खंभालिया विधानसभा सीट से विधायक हैं। ऐसे में जामनगर में इस बार चुनावी मुकाबला चाचा और भतीजी के बीच होने जा रहा है।
जामनगर लोकसभा सीट के अंदर विधानसभा की सात सीटें हैं – कालावाड, जामनगर ग्रामीण, जामनगर उत्तर, जामनगर दक्षिण, जाम जोधपुर, खंभालिया और द्वारका। 2012 विधानसभा चुनावों में इन सात सीटों में से पांच पर बीजेपी ने कब्जा किया तो दो सीटों- जामनगर ग्रामीण और जामनगर उत्तर पर कांग्रेस ने कब्जा किया।
नुक्कड़ बहस में शामिल गेस्ट
बीजेपी
1.       दिनेश पटेल, बीजेपी नेता और मेयर, जामनगर शहर
2.       हसमुख हिंडोचा, शहर बीजेपी प्रमुख, जामनगर
3.       दिलीप सिंह चूड़ासमा, जिला बीजेपी महामंत्री
कांग्रेस
1.       पीसी खेतिया, शहर कांग्रेस अध्यक्ष, जामनगर
2.       वीरेंद्र सिंह जाडेजा, महामंत्री, जिला कांग्रेस
आम आदमी पार्टी
1.       जयेंद्र भाई परमार, जामनगर जिला संयोजक, आम आदमी पार्टी
 लोकेशन – सुमेर क्लब, जामनगर

KBPM Nukkad Bahas from Godhra, Panchmahal, Gujarat, March 16, 2014



पंचमहाल लोकसभा सीट पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है। ये लोकसभा सीट पंचमहाल जिले की चार विधानसभा सीटों, खेडा जिले की एक सीट और महीसागर जिले की दो विधानसभा सीटों को मिलाकर बनी है। 2004 तक इस लोकसभा सीट का नाम गोधरा था। नये सीमांकन के बाद इसे पंचमहाल नाम दिया गया। हालांकि 1962 के चुनावों तक इस सीट का नाम पंचमहाल ही था।
मशहूर सांसद पीलू मोदी यहां से 1967 और 1971 का चुनाव स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर जीते थे। 1999 और 2004 में यहां बीजेपी ने जीत दर्ज की।
2009 में यहां बीजेपी के प्रभातसिंह चौहाण ने कांग्रेस के हैवीवेट नेता और तब की यूपीए सरकार में कपड़ा मंत्री शंकरसिंह वाघेला को हराया। हालांकि शंकरसिंह वाघेला ने गोधरा सीट 1991 में बतौर बीजेपी नेता जीती थी, लेकिन 1996 में वो यहां से चुनाव हार गये थे। कांग्रेस ने पंचमहाल लोकसभा सीट से इस दफा रामसिंह परमार को चुनाव मैदान में उतारा है। परमार खेडा जिले की ठासरा विधानसभा सीट से विधायक हैं और विश्वप्रसिद्ध अमूल डेरी के चेयरमैन।
पंचमहाल जिले का मुख्यालय गोधरा वर्ष 2002 की 27 फरवरी को साबरमती एक्सप्रेस में की गई आगजनी के कारण चर्चा में आया, जिसके अगले दिन से गुजरात के कई हिस्सों में दंगे भड़क उठे।
इस शहर से सरदार वल्लभभाई पटेल और मोरारजी देसाई का भी गहरा नाता रहा है। सरदार पटेल ने गोधरा में वकालत की प्रैक्टिस की थी, जबकि मोरारजी यहां पर डिप्टी कलेक्टर रहे थे और यही उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी।
पंचमहाल लोकसभा सीट के अंदर विधानसभा की सात सीटें हैं- ठासरा, बालासिनोर, लुणावाडा, शहेरा, मोरवा हडफ, गोधरा और कालोल। 2012 विधानसभा चुनावों के दौरान इनमें से पांच सीटें कांग्रेस ने जीती, तो दो सीटें बीजेपी ने। लेकिन मोरवा हडफ की कांग्रेस विधायक के देहांत के बाद हुए उपचुनाव में वहां बीजेपी ने जीत हासिल की और इस तरह कांग्रेस का मौजूदा आंकड़ा जहां चार है, वही बीजेपी का तीन।

नुक्कड़ बहस में शामिल राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि

बीजेपी
1.       काकुल पाठक, पंचमहाल लोकसभा सीट बीजेपी प्रभारी
2.       पी बी बारिया, ओबीसी सेल प्रमुख, पंचमहाल
3.       समरसिंह पटेल, बीजेपी किसान मोर्चा अध्यक्ष, पंचमहाल

कांग्रेस
1.       अजीत सिंह भाटी, जिला कांग्रेस महासचिव, पंचमहाल
2.       य़शवर्धन सिंह रावलजी, कांग्रेस नेता

आम आदमी पार्टी - पीयूष परमार

KBPM: Ahmedabad's voters mood ahead of LS poll schedule announcement

Kaun Banega Pradhanmantri Nukkad Behas from Bhruch in Gujarat



लोकसभा चुनावों के हिसाब से भरूच बीजेपी का मजबूत गढ़ रहा है। 1989 से लगातार यहां बीजेपी लोकसभा का चुनाव जीतती रही है। भरूच के मौजूदा लोकसभा सांसद मनसुखभाई वसावा है, जो 1999 से यहां का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल का गृह जिला भी भरूच ही है। खुद अहमद पटेल यहां से 1977, 1980 और 1984 में कांग्रेस सांसद रहे।

2014 लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने फिर से मनसुखभाई वसावा को ही अपना उम्मीदवार बनाया है।

भरूच लोकसभा सीट के अंदर विधानसभा की सात सीटें हैं - करजण, देदियापाड़ा, जंबूसर, वागरा, झगड़िया, भरूच और अंकलेश्वर। 2012 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी यहां की सात में से छह सीटें जीतने में कामयाब रही, जबकि कांग्रेस का यहां खाता भी नहीं खुला। एक सीट नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के खाते में गई। दरअसल राज्य में जेडीयू के एक मात्र एमएलए छोटूभाई वसावा भरूच जिले की झगड़िया सीट से ही चुनाव जीतते हैं।

भरूच लोकसभा सीट में आदिवासी मतदाताओं की संख्या अच्छी है, यही नहीं यहां मुस्लिम मतदाता भी बड़ी मात्रा में हैं। औद्योगिक तौर पर भरूच काफी विकसित है। भरूच, अंकलेश्वर और दहेज जैसे इलाके केमिकल, फार्मा, गैस और फर्टिलाइजर से जुड़ी औद्योगिक इकाइयों से भरे पड़े हैं। खुद भरूच शहर नर्मदा नदी के किनारे बसा हुआ है। इस जिले का एक बड़ा हिस्सा समुद्र तटीय है।  

भरूच की नुक्कड़ बहस में भाग लेने वाले बीजेपी और कांग्रेस के प्रमुख नेता इस प्रकार हैं-

बीजेपी
1. आसीफा खान, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, बीजेपी

2. दक्षाबेन पटेल, बीेजेपी नेता और भरूच नगरपालिका अध्यक्ष

3. मनहर गोहिल, बीजेपी नेता और जिला पंचायत अध्यक्ष, भरूच


कांग्रेस
1. राजेंद्र सिंह राणा, जिला कांग्रेस अध्यक्ष, भरूच

2. नाजु फड़वाला, प्रवक्ता, कांग्रेस, भरूच

3. अरविंद धोरावाला, प्रदेश मंत्री कांग्रेस

Nukkad Behes: Kaun Banega Pradhanmantri from Surat, Gujarat



लोकसभा चुनावों के लिहाज से सूरत बीजेपी का मजबूत गढ़ रहा है। 1989 से लगातार इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है यानी बीजेपी यहां से सात चुनाव जीत चुकी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कांशीराम राणा यहां 1989 से लेकर 2004 तक छह बार चुनाव जीते। सूरत की मौजूदा सांसद दर्शनाबेन जरदौश हैं। 2014 लोकसभा चुनावों में भी दर्शनाबेन ही बीजेपी की प्रत्याशी हैं।
सूरत सीट से पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई भी चुनाव लड़ते रहे। 1977 में जब वो देश की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार के प्रधानमंत्री बने, तब भी वो सूरत से ही चुनाव जीते थे।

जहां तक विधानसभा चुनावों का सवाल है, उसमें भी बीजेपी यहां जोरदार प्रदर्शन करती आ रही है। सूरत लोकसभा सीट के अंदर गुजरात विधानसभा की सात सीटें हैं - ओलपाड, सूरत पूर्व, सूरत उत्तर, वराछा रोड, करंज, कतारगाम और सूरत पश्चिम। 2012 विधानसभा चुनावों के दौरान बीजेपी ने इन सभी सात सीटों पर कब्जा किया।

सूरत महानगरपालिका पर भी बीजेपी का ही कब्जा है।

सूरत एक ऐतिहासिक शहर है। सूरत में ही अंग्रेजों ने अपनी पहली फैक्ट्री डाली थी। सूरत की मौजूदा पहचान पूरी दुनिया में डायमंड सिटी के तौर पर है, क्योंकि सबसे अधिक हीरों की कटिंग और पॉलिश का कारोबार यहां होता है। टेक्सटाइल उद्योग का भी बड़ा केंद्र है सूरत। सूरत आप्रवासियों के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है। सूरत एक ऐसा शहर है, जहां पूरे देश से लोग रोजगार के सिलसिले में आते हैं, खास तौर पर उत्तर और पूर्वी भारत के राज्यों से।

सूरत की नुक्कड़ बहस में शरीक होने वाले बीजेपी और कांग्रेस के प्रमुख नेता इस प्रकार हैं-

बीजेपी

1.निरंजन जाजमेरा, बीजेपी नेता और मेयर, सूरत शहर


2. हर्ष संघवी, बीजेपी विधायक और राष्ट्रीय महामंत्री, बीजेपी युवा मोर्चा



कांग्रेस 

1. धनपत जैन, कांग्रेस नेता, सूरत


2. संजय पटवा, क्षेत्रीय प्रवक्ता, कांग्रेस

Kaun Banega Pradhanmantri Nukkar Behas Kutch in Gujarat



कच्छ लोकसभा सीट पर 1996 से ही लगातार बीजेपी का कब्जा बना हुआ है। यहां पर 1996, 1998, 1999 और 2004 में बीजेपी की तरफ से पुष्पदान गढ़वी ने चुनाव जीता, तो 2009 का चुनाव बीजेपी की तरफ से पूनमबेट जट नामक महिला युवा नेता ने जीता। 2009 से ये सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व सीट बन चुकी है।

बीजेपी ने 2014 लोकसभा चुनावों में अपना उम्मीदवार बदल दिया है। पूनमबेट जट की टिकट काटकर पार्टी ने विनोदभाई चावड़ा को यहां अपना उम्मीदवार बनाया है। वही कांग्रेस ने कच्छ से दिनेश परमार को मैदान में उतारा है, जिन्होंने मेडिकल की पढ़ाई की है। इससे पहले परमार जामनगर जिले की कालावड विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं।
कच्छ लोकसभा सीट के अंदर विधानसभा की कुल सात सीटें हैं – अबडासा, मांडवी, भुज, अंजार, गांधीधाम, रापर और मोर्बी। पहली छह सीटें जहां कच्छ जिले का हिस्सा हैं, वही मोर्बी सीट मोर्बी नामक नये जिले का अंग। 2012 के विधानसभा चुनावों में इन सात सीटों में से छह पर बीजेपी का कब्जा रहा। इस लोकसभा की एक मात्र विधानसभा सीट अबडासा पर कांग्रेस ने जीत हासिल की, लेकिन उस कांग्रेसी विधायक छबिल पटेल ने भी इसी 24 फरवरी को विधान सभा से इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली।

आजादी के पहले कच्छ बड़ी रियासत हुआ करती थी। आजादी के बाद इसका भारत में विलय हुआ। 1960 में गुजरात के अस्तित्व में आने के बाद ये गुजरात राज्य का हिस्सा बना। 2001 में भयावह भूकंप की पीड़ा झेली थी कच्छ ने। हालांकि उसके बाद औद्योगिक तौर पर कच्छ का काफी विकास हुआ। देश का मशहूर बंदरगाह कांडला भी कच्छ जिले का ही हिस्सा है। कच्छ सीमावर्ती जिला है। विभाजन के वक्त बड़े पैमाने पर सिंधी शरणार्थी कच्छ में आए और इनके लिए गांधीधाम और आदीपुर जैसे नगर बसाये गये। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की पृष्ठभूमि भी कच्छ के रन्न में पाकिस्तान की घुसपैठ थी।

Kaun Banega Pradhanmantri Nukkar Behas from Bardoli in Gujarat



गुजरात के दक्षिणी हिस्से की बारडोली लोकसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आई। इस लोकसभा सीट के अंदर कुल सात विधानसभा क्षेत्रों का समावेश है, जो सूरत और तापी जिले के हैं। ये विधानसभा सीटें हैं - मांगरोल, मांडवी, कामरेज, बारडोली, महुआ, व्यारा और निजर।

बारडोली लोकसभा सीट के अंदर आने वाले इलाकों में आदिवासियों का बाहुल्य है, इसलिए ये सीट एसटी रिजर्व सीट है। पहले ये सीट मांडवी के तौर पर अस्तित्व में थी। मांडवी लोकसभा सीट पर सिर्फ एक दफा बीजेपी का कब्जा रहा, वो भी 1999 में। उससे पहले या उसके बाद भी लगातार मांडवी लोकसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा। कांग्रेस नेता छित्तूभाई गामित तो  1977 से लेकर 1998 तक लगातार सात बार यहां से चुनाव जीते। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अमरसिंह चौधरी भी यहां 1971 में चुनाव जीते थे। 2004 चुनावों में मांडवी लोकसभा सीट कांग्रेस की तरफ से तुषार चौधरी ने जीती, जो अमरसिंह चौधरी के बेटे हैं। तुषार फिलहाल केंद्र की यूपीए सरकार में मंत्री हैं। नये सीमांकन के बाद जब मांडवी सीट का अस्तित्व खत्म हुआ और बारडोली सीट अस्तित्व में आई, तो 2009 का लोकसभा चुनाव तुषार चौधरी ने एक बार फिर यहां से जीता। 

जहां तक 2012 विधानसभा चुनावों का सवाल है, बारडोली लोकसभा सीट के अंदर आने वाली सात विधानसभा सीटों में से पांच पर बीजेपी ने कब्जा किया, तो कांग्रेस के हाथ सिर्फ दो सीटें-मांडवी और व्यारा आईं। लेकिन इसी 24 फरवरी को मांडवी इलाके के कांग्रेसी विधायक परभुभाई वसावा ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी ज्वाइन कर ली। ऐसे में अब कांग्रेस के पास बारडोली लोकसभा सीट की सात विधानसभा सीटों में से एक सीट व्यारा रह गई है। अपने इस पुराने गढ़ को बचाने की मुहिम के तहत ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का दौरा 8 फरवरी को बारडोली में हुआ था और यहां उन्होंने एक रैली भी की थी। 

2014 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर जहां तुषार चौधरी कांग्रेस की तरफ से मैदान में हैं, तो बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर आए परभुभाई वसावा को अपना प्रत्याशी बना दिया है।

बारडोली ऐतिहासिक तौर पर काफी अहम है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अहम पड़ाव है ये। यही पर 1928 में अंग्रेजी शासन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ वल्लभभाई पटेल ने किसानों के हक की लड़ाई लड़ी थी और इस आंदोलन में सफलता हासिल होने के बाद वल्लभभाई को महात्मा गांधी ने सरदार का उपनाम दिया, जो आगे चलकर उनके मुख्य नाम जैसा ही बन गया। बारडोली का इलाका गन्ना उत्पादन के लिेए भी मशहूर है।

जहां तक चुनावी मुद्दों का सवाल है, मोदी की प्रधानमंत्री उम्मीदवारी के अलावा भ्रष्टाचार, रोजगार और विकास यहां के अहम मुद्दे हैं, साथ में सरदार की सियासी विरासत भी।

नुक्कड़ बहस में भाग लेने वाले बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता इस प्रकार हैंः

दिनेश दासा, बीजेपी नेता और बारडोली लोकसभा क्षेत्र के पार्टी प्रभारी


ईश्वरभाई वहिया, कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक

मनीष पटेल, आम आदमी पार्टी नेता।

Kaun Banega Pradhanmantri Nukkar Behas from Navsari in Gujarat



नवसारी लोकसभा सीट 2009 में पहली बार अस्तित्व में आई। ये लोकसभा सीट कुल सात विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बनी है - लिंबायत, उधना, मजूरा, चोर्यासी, जलालपुर, नवसारी और गणदेवी। 2009 के लोकसभा चुनाव में ये सीट बीजेपी के लिए सीआर पाटिल ने जीती। 2012 के विधानसभा चुनावों में नवसारी लोकसभा क्षेत्र के अंदर आने वाली सभी सात विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने कब्जा किया।

2014 लोकसभा चुनावों में सी आर पाटिल ही बीजेपी के प्रत्याशी हैं।
 
नवसारी ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। दादाभाई नौरोजी और टाटा समूह के संस्थापक जेएन टाटा की जन्मस्थली है ये शहर। यही नहीं, इसी नवसारी जिले के अंदर दांडी नामक वो जगह भी आती है, जहां समंदर के किनारे महात्मा गांधी ने नमक कानून को तोड़ा था।

नवसारी दक्षिण गुजरात में है और इस लोकसभा सीट का कुछ हिस्सा सूरत जिले में है, तो कुछ नवसारी जिले में। आदिवासी बहुल इलाके भी इस लोकसभा क्षेत्र के अंदर हैं।

नुक्कड़ बहस में शामिल होने वाले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि इस प्रकार हैं-
बीजेपी
1. पीयूषभाई देसाई, बीजेपी विधायक, नवसारी

2. प्रेमचंद लालवानी, शहर बीजेपी अध्यक्ष, नवसारी


कांग्रेस
1. संजय पटवा, क्षेत्रीय प्रवक्ता व सचिव, गुजरात कांग्रेस

Kaun Banega Pradhanmantri Nukkar Behas from Dahod, Gujarat



दाहोद लोकसभा सीट सात विधानसभा सीटों को मिलाकर बनी है – संतरामपुर, फतेपुरा, झालोद, लिमखेडा, दाहोद, गरबाडा और देवगढ़ बारिया। इनमें से छह विधानसभा सीटें जहां दाहोद जिले में आती हैं, वही संतरामपुर महीसागर जिले का हिस्सा है। इन सात सीटों में से देवगढ़ बारिया को छोड़कर बाकी सभी विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं।
2012 के विधानसभा चुनावों में इस लोकसभा सीट के अंदर आने वाली चार विधानसभा सीटों पर जहां कांग्रेस ने जीत हासिल की, वही तीन विधानसभा सीटों पर बीजेपी ने।
दाहोद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लोकसभा सीट है। 2009 के लोकसभा चुनावों में यहां कांग्रेस की प्रभाबेन तावियाड ने जीत हासिल की। इससे पहले के दो चुनाव यानी 1999 और 2004 में यहां जीत का सेहरा बीजेपी के बाबूभाई कटारा के सर पर बंधा। इससे पहले इस सीट से लगातार सात बार कांग्रेस के सोमजी डामोर ने जीत हासिल की, 1977 से लेकर 1998 तक। सोमजी डामोर पिछले लोकसभा चुनावों के पहले बीजेपी में आ गये और बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर 2009 का चुनाव लड़ा, लेकिन वो चुनाव हार गये। इस बार बीजेपी ने दाहोद से जसवंत सिंह भाभोर को चुनाव मैदान में उतारा है। भाभोर दाहोद जिले की लिमखेडा विधानसभा सीट से विधायक हैं और बीजेपी की पिछली तीन सरकारों में मंत्री भी रह चुके हैं।
कांग्रेस की तरफ से प्रभाबेन तावियाड ही उम्मीदवार हैं। वो एआईसीसी की सेक्रेटरी के अलावा राहुल गांधी की कोर टीम की सदस्या भी हैं।
आदिवासी बहुल दाहोद जिला मध्यप्रदेश के झाबुआ से सटा हुआ है। मुगल बादशाह औरंगजेब का जन्म दाहोद में ही हुआ था। उस समय औरंगजेब का पिता शाह जहां गुजरात का सूबेदार हुआ करता था।

नुक्कड़ बहस में भाग लेने वाले नेताओं का नाम

बीजेपी
1.       सोमजी डामोर, दाहोद के पूर्व सांसद व बीजेपी नेता
2.       राजेश सहताई, बीजेपी नेता व दाहोद नगरपालिका अध्यक्ष
3.       गुलशन बचानी, जिला उप प्रमुख, बीजेपी, दाहोद

कांग्रेस
1.       प्रभाबेन तावियाड, कांग्रेस सांसद व उम्मीदवार, दाहोद
2.       किरीट भाई पटेल, जिला कांग्रेस अध्यक्ष, दाहोद

आम आदमी पार्टी - ब्रजेश दर्जी

लोकेशन – छाप तालाब, दाहोद