Thursday, March 20, 2014

Kaun Banega Pradhanmantri Nukkar Behas from Bardoli in Gujarat



गुजरात के दक्षिणी हिस्से की बारडोली लोकसभा सीट 2009 में अस्तित्व में आई। इस लोकसभा सीट के अंदर कुल सात विधानसभा क्षेत्रों का समावेश है, जो सूरत और तापी जिले के हैं। ये विधानसभा सीटें हैं - मांगरोल, मांडवी, कामरेज, बारडोली, महुआ, व्यारा और निजर।

बारडोली लोकसभा सीट के अंदर आने वाले इलाकों में आदिवासियों का बाहुल्य है, इसलिए ये सीट एसटी रिजर्व सीट है। पहले ये सीट मांडवी के तौर पर अस्तित्व में थी। मांडवी लोकसभा सीट पर सिर्फ एक दफा बीजेपी का कब्जा रहा, वो भी 1999 में। उससे पहले या उसके बाद भी लगातार मांडवी लोकसभा सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा। कांग्रेस नेता छित्तूभाई गामित तो  1977 से लेकर 1998 तक लगातार सात बार यहां से चुनाव जीते। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अमरसिंह चौधरी भी यहां 1971 में चुनाव जीते थे। 2004 चुनावों में मांडवी लोकसभा सीट कांग्रेस की तरफ से तुषार चौधरी ने जीती, जो अमरसिंह चौधरी के बेटे हैं। तुषार फिलहाल केंद्र की यूपीए सरकार में मंत्री हैं। नये सीमांकन के बाद जब मांडवी सीट का अस्तित्व खत्म हुआ और बारडोली सीट अस्तित्व में आई, तो 2009 का लोकसभा चुनाव तुषार चौधरी ने एक बार फिर यहां से जीता। 

जहां तक 2012 विधानसभा चुनावों का सवाल है, बारडोली लोकसभा सीट के अंदर आने वाली सात विधानसभा सीटों में से पांच पर बीजेपी ने कब्जा किया, तो कांग्रेस के हाथ सिर्फ दो सीटें-मांडवी और व्यारा आईं। लेकिन इसी 24 फरवरी को मांडवी इलाके के कांग्रेसी विधायक परभुभाई वसावा ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी ज्वाइन कर ली। ऐसे में अब कांग्रेस के पास बारडोली लोकसभा सीट की सात विधानसभा सीटों में से एक सीट व्यारा रह गई है। अपने इस पुराने गढ़ को बचाने की मुहिम के तहत ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का दौरा 8 फरवरी को बारडोली में हुआ था और यहां उन्होंने एक रैली भी की थी। 

2014 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर जहां तुषार चौधरी कांग्रेस की तरफ से मैदान में हैं, तो बीजेपी ने कांग्रेस छोड़कर आए परभुभाई वसावा को अपना प्रत्याशी बना दिया है।

बारडोली ऐतिहासिक तौर पर काफी अहम है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अहम पड़ाव है ये। यही पर 1928 में अंग्रेजी शासन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ वल्लभभाई पटेल ने किसानों के हक की लड़ाई लड़ी थी और इस आंदोलन में सफलता हासिल होने के बाद वल्लभभाई को महात्मा गांधी ने सरदार का उपनाम दिया, जो आगे चलकर उनके मुख्य नाम जैसा ही बन गया। बारडोली का इलाका गन्ना उत्पादन के लिेए भी मशहूर है।

जहां तक चुनावी मुद्दों का सवाल है, मोदी की प्रधानमंत्री उम्मीदवारी के अलावा भ्रष्टाचार, रोजगार और विकास यहां के अहम मुद्दे हैं, साथ में सरदार की सियासी विरासत भी।

नुक्कड़ बहस में भाग लेने वाले बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेता इस प्रकार हैंः

दिनेश दासा, बीजेपी नेता और बारडोली लोकसभा क्षेत्र के पार्टी प्रभारी


ईश्वरभाई वहिया, कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक

मनीष पटेल, आम आदमी पार्टी नेता।

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