मध्य गुजरात का कंद्र बिंदु है वडोदरा। १९९१ में पहली बार बीजेपी के लिए ये सीट दीपिका चिखलिया नेजीती थी। १९९६ में महज़ १७ वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार सत्यजीत सिंह गायकवाड ने ये सीट बीजेपी से छिन ली। लेकिन उसके बाद से लगातार ये सीट बीजेपी के क़ब्ज़े में है। यहाँ पर पिछले चुनाव यानी २००९ में बीजेपी के बालकृष्ण शुक्ल ने एक लाख ३६ हज़ार वोटों से भी अधिक के मार्जिन से कांग्रेस प्रत्याशी को हराया।
वडोदरा लोकसभा सीट के अंदर विधानसभा की सात सीटें हैं- साँवली, वाघोडिया, वड़ोदरा सिटी, सयाजीगंज, अकोटा, रावपुरा, मांजलपुर। २०१२ के विधानसभा चुनावों में इनमें से छह सीटों पर बीजेपी ने क़ब्ज़ा किया जबकि साँवली की सीट बीजेपी से ही बाग़ी होकर चुनाव लड़े केतन इनामदार ने जीती। केतन भी अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।
वड़ोदरा की पहचान महाराजा सयाजीराव गायकवाड के शहर के तौर पर रही है। रियासतों के दौर में वो भारत के सबसे प्रगतिशील और प्रजा हितकारी, राष्ट्रवादी शासक के तौर पर मशहूर रहे।
अब वड़ोदरा पर निगाह नरेंद्र मोदी के यहाँ से बीजेपी उम्मीदवार बनने के कारण होगी। हालाँकि कांग्रेस की तरफ़ से यहाँ मोदी को चुनौती नरेंद्र रावत से मिलेगी, जो प्राइमरी के ज़रिये उम्मीदवार बने हैं। ऐसे में वडोदरा का ये मुक़ाबला नरेंद्र बनाम नरेंद्र का हो जाएगा।
वड़ोदरा की नुक्कड़ बहस में शामिल हुए नेताओं के नाम
बीजेपी
बालकृष्ण शुक्ल, बीजेपी सांसद, वडोदरा
भरत डाँगर, वड़ोदरा शहर बीजेपी अध्यक्ष
शब्दशरण ब्रह्मभट्ट, वरिष्ठ बीजेपी नेता
कांग्रेस
नरेंद्र रावत, कांग्रेस उम्मीदवार, वडोदरा
चंद्रकांत श्रीवास्तव, कांग्रेस नेता, वड़ोदरा नगर निगम
आम आदमी पार्टी
सोनाली सेन
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