Tuesday, August 9, 2011
Umed Bhuvan, Bhuj, Kachchh
कच्छ के जिला मुख्यालय भुज का सर्किट हाउस उमेद भुवन के तौर पर जाना जाता है। तस्वीर में वो पुराना उमेद भुवन दिख रहा है, जो 2001 के भूकंप में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ। इस इमारत को ध्वस्त कर यही पर नया भवन बनाया गया, जो मौजूदा सर्किट हाउस है। उमेद भुवन की पुरानी बिल्डिंग का निर्माण तब हुआ था, जब कच्छ में महारावों का शासन था। ये महाराव के जमाने में भी गेस्ट हाउस ही हुआ करता था। आजादी बाद इसे राज्य सरकार ने अपना अतिथि गृह बना डाला, सर्किट हाउस के तौर पर। लेकिन नाम वही पुराना रहने दिया गया, उमेद भुवन। 2001 के भूकंप के बाद बने नये भवन को भी उमेद भुवन के तौर पर ही जाना जाता है। तीन से पांच अगस्त, 2011 के बीच जब भुज में मौजूद था, तो पता चला कि पुराने उमेद भुवन की कोई तस्वीर न तो सर्किट हाउस मैनेजर के पास है और न ही जिले में कही और। यहां तक कि कच्छ के सबसे मशहूर अखबार कच्छ मित्र की लाइब्रेरी में भी पुराने उमेद भुवन की कोई तस्वीर नहीं है। ऐसे में मुझे याद आया कि वर्ष 2001 में जब मेरा कच्छ जाना हुआ था, तो एक तस्वीर खिचाई थी उमेद भुवन के बाहर। घर आकर ढूंढा, तो तस्वीर तो मिल गई, लेकिन निगेटिव नहीं मिली। ऐसे में उस पुरानी तस्वीर के सहारे ही एक बड़ा पोस्टरनुमा फोटो तैयार कराने की सोची, ताकि सर्किट हाउस को इसे भेंट के तौर पर दिया जा सके। स्टार न्यूज़ में मेरे कैमरामैन आर एम पांडे और फोटोग्राफर मित्र अजीत सोलंकी के प्रयासों से ये बड़ी तस्वीर बन सकी है। इस फोटो में जो तीन चेहरे दिख रहे हैं, वो गुजरात समाचार के तत्कालीन संवाददाता केतन त्रिवेदी, मेरे और ज़ी न्यूज़ के कैमरामैन सुबोध व्यास के हैं। उस वक्त मैं भी ज़ी न्यूज़ के लिए ही कार्य कर रहा था। ये तस्वीर मैं कच्छ के अपने पत्रकार मित्र निखिल पंड्या के जरिये उमेद भुवन सर्किट हाउस की मैनेजर श्रीमती मालती बारोट को भिजवा रहा हूं। मालतीबेन की भी इच्छा थी कि सर्किट हाउस में एक ऐसी तस्वीर हो, जो यहां आने वाले लोगों को उमेद भुवन की हेरिटेज बिल्डिंग के साथ ही इसके गौरवशाली इतिहास की भी याद दिला सके।
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